काशी सत्संग : अनुभव के बिना शाब्दिक ज्ञान व्यर्थ है - Kashi Patrika

काशी सत्संग : अनुभव के बिना शाब्दिक ज्ञान व्यर्थ है

एक बार एक गरीब नाविक एक विद्वान व्यक्ति को नाव से नदी पार करा रहा था। इस दौरान वे आपस में बातचीत करने लगे। विद्वान ने कुछ ग्रंथों का नाम लेकर नाविक से पूछा,"तुमने वे ग्रंथ पढे हैं।" नाविक के ‘ना’ कहने पर विद्वान ने कहा ‘तुमने अपना आधा जीवन व्यर्थ कर दिया।’
अभी चर्चा चल ही रही थी कि नाव में छेद हो गया और नाव में पानी भरने लगा। यह देखकर नाविक ने विद्वान से पूछा ‘श्रीमान क्या आपको तैरना आता है?’ विद्वान ने कहा ‘मैंने तैराकी पर अनेक ग्रंथ पढ़े हैं और विविध जानकारी प्राप्त की है; पर मुझे तैरना नहीं आता।' इस पर नाविक ने विद्वान से कहा, "तब आपका सारा जीवन व्यर्थ हो गया, क्योंकि यह नाव अब डूबने वाली है।"
डूबने से बचने में विद्वान का सैद्धांतिक ज्ञान उसके किसी काम नहीं आ सका। उसी प्रकार भवसागर को पार करने और आनंद प्राप्ति के लिए केवल शाब्दिक ज्ञान पर्याप्त नहीं, अपितु साधना ही आवश्यक पड़ती है।
ऊं तत्सत..

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