मनुष्य एक लम्बी तीर्थयात्रा पर है। यहां कोई भी नया नहीं है। हम सभी यहां बहुत पुराने तीर्थयात्री हैं। तुमने मानव चेतना के सारे विकास को देखा है। तुम उसके हिस्से रहे हो।
तुम हमेशा से यहां मौजूद रहे हो--अलग-अलग रूपों में, अलग-अलग शरीरों में, अलग-अलग कार्य करते हुए, लेकिन तुम यहां मौजूद रहे हो। और तुम यहां हमेशा मौजूद रहने वाले हो। अस्तित्व से चले जाने का कोई मार्ग नहीं है। अस्तित्व से कुछ भी समाप्त नहीं किया जा सकता और न ही अस्तित्व में कुछ जोड़ा जा सकता है। अस्तित्व हमेशा से ठीक ऐसा ही रहा है।
यह अंतर्दृष्टि तुम्हें समयातीत ले जाती है--और समयातीत होना दुखों के पार होना है। कालातीत को जानना आनंद के जगत में प्रवेश करना है। तुम पुरातन हो, कालातीत हो, अनंत हो। इसलिए छोटी-छोटी बातों के लिए डरने की कोई जरूरत नहीं है, सांसारिक बातों की नाहक चिंता लेने की कोई जरूरत नहीं है। वे आती-जाती रहती हैं। तुम सदा बने रहते हो। ध्यान रहे कि जो सदा है, वह न तो कभी आता है, न ही कभी जाता है। वह अनंत है, और वह तुम्हारे भीतर ऐसे ही है जैसे कि सभी के भीतर है।
तुम हमेशा से यहां मौजूद रहे हो--अलग-अलग रूपों में, अलग-अलग शरीरों में, अलग-अलग कार्य करते हुए, लेकिन तुम यहां मौजूद रहे हो। और तुम यहां हमेशा मौजूद रहने वाले हो। अस्तित्व से चले जाने का कोई मार्ग नहीं है। अस्तित्व से कुछ भी समाप्त नहीं किया जा सकता और न ही अस्तित्व में कुछ जोड़ा जा सकता है। अस्तित्व हमेशा से ठीक ऐसा ही रहा है।
यह अंतर्दृष्टि तुम्हें समयातीत ले जाती है--और समयातीत होना दुखों के पार होना है। कालातीत को जानना आनंद के जगत में प्रवेश करना है। तुम पुरातन हो, कालातीत हो, अनंत हो। इसलिए छोटी-छोटी बातों के लिए डरने की कोई जरूरत नहीं है, सांसारिक बातों की नाहक चिंता लेने की कोई जरूरत नहीं है। वे आती-जाती रहती हैं। तुम सदा बने रहते हो। ध्यान रहे कि जो सदा है, वह न तो कभी आता है, न ही कभी जाता है। वह अनंत है, और वह तुम्हारे भीतर ऐसे ही है जैसे कि सभी के भीतर है।
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