बद्रीनारायण उपाध्याय 'प्रेमघन'
तेरे इश्क में हमने दिल को जलाया,
कसम सर की तेरे, मजा कुछ न आया।
नजर खार की शक्ल आते हैं सब गुल,
इन आँखों में जब से तू आकर समाया?
असर हो न क्यों दिल में दिल से जो चाहे,
मसल सच है, जो उसको ढूँढ़ा वो पाया।
चमन में है बरसात की आमद-आमद,
अहा आसमाँ पर सियह अब्र छाया।
मचाया है मोरों ने क्या शोरे-मैहशर,
पपीहों ने क्या पुर-गजब रट लगाया।
तुझे शैख जिसने बनाया है मोमिन,
हमें भी है हिन्दू उसी ने बनाया।
परीशाँ हो क्यों अब्रे-बेखुद भला तुम,
कहो किस सितमगर से है दिल लगाया।।
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