पुनः चमकेगा दिनकर/ अटल बिहारी वाजपेयी - Kashi Patrika

पुनः चमकेगा दिनकर/ अटल बिहारी वाजपेयी

आजादी का दिन मना,
नई गुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए;
कह कैदी कबिराय
न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
पुनः चमकेगा दिनकर।

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