राजीव को नहीं पसंद थी राजनीति - Kashi Patrika

राजीव को नहीं पसंद थी राजनीति


राजीव गांधी पुण्यतिथि विशेष।।
राजीव गांधी राजनीति में आने के अनिच्छुक थे। संजय गांधी की मौत के बाद मां इंदिरा गांधी चाहती थीं कि राजीव राजनीति में आ जाएं। उनके लिए राजीव को मनाना बहुत मुश्किल था। एक किताब में इस बात का जिक्र किया गया है कि राजीव गांधी को मनाने के लिए उन्होंने धर्म गुरू ओशो की मदद ली थी। ओशो की सेक्रेटरी लक्ष्मी पर छपी एक किताब में किया गया है। इस किताब के अनुसार ओशो की सेक्रेटरी ने राजीव को एक प्रोफेशनल पायलट से निकालकर उनकी राजनीति में एंट्री कराने में इंदिरा गांधी की मदद की थी। ‘द ऑन्ली लाइफ: ओशो, लक्ष्मी एंड द वर्ल्ड क्राइसिस’ में कवि और कलाकार राशिद मैक्सवेल ने कहा है कि “इंदिरा अपने पिता जवाहर लाल नेहरु की तरह धार्मिक जीवन में इच्छा रखती थीं।”

इस किताब के अनुसार इंदिरा ओशो का काफी सम्मान करती थीं, लेकिन उनकी
कभी भी ओशो से मुलाकात नहीं हुई थी। इंदिरा कभी भी ओशो के आश्रम में भी नहीं गईं, जबकि एक बार वे पूणे में थीं। इसका कारण यह था कि ओशो एक विवादित शख्सियत थे। 1977 में सत्ता से हटने के बाद इंदिरा गांधी विपक्ष में बैठी थीं। उसी दौरान इंदिरा द्वारा ओशो की सेक्रेटरी लक्ष्मी को ग्रीन पास दिया गया था, जिसके जरिए वे अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह इंदिरा से उनके घर या ऑफिस में आराम से जाकर मिल सकती थीं। उस समय लक्ष्मी इंदिरा गांधी की बहुत करीबी बन गई थीं। लक्ष्मी जब एक बार इंदिरा से मिलने गई थीं तो इंदिरा ने उन्हें मनाया था कि वे जाकर राजीव गांधी से बात करें।

इंदिरा चाहती थीं कि लक्ष्मी राजीव गांधी को राजनीति में लाने के लिए उनकी मदद करें। लक्ष्मी राजीव के कमरे में गईं और काफी देर तक उनसे बातचीत की। राजीव गांधी राजनीति में आने के लिए अनिच्छुक थे,लेकिन उन्होंने पायलट की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रख दिया। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। मैक्सवेल द्वारा लिखी गई व सिमोन और स्कस्टर द्वारा पब्लिश की गई इस किताब में लक्ष्मी के जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन किया गया है।
(इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस) 

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