जुर्म-ए-उल्फत पे हमें लोग सजा देते हैं... - Kashi Patrika

जुर्म-ए-उल्फत पे हमें लोग सजा देते हैं...


जुर्म-ए-उल्फत पे हमें लोग सजा देते हैं,
कैसे नादान हैं शो'लों को हवा देते हैं।

हम से दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ करते हैं,
जान जाए कि रहे बात निभा देते हैं।

आप दौलत के तराजू में दिलों को तौलें,
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं।

तख्त क्या चीज है और लाल-ओ-जवाहर क्या हैं,
इश्क वाले तो खुदाई भी लुटा देते हैं।

हम ने दिल दे भी दिया अहद-ए-वफा ले भी लिया,
आप अब शौक से दे लें जो सजा देते हैं।।
साहिर लुधियानवी 

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