“पप्पू” पास या फेल! - Kashi Patrika

“पप्पू” पास या फेल!


सदन में “अविश्वास प्रस्ताव” के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बात गंभीरता से ही नहीं रखी, बल्कि अपने भाषण के जरिए बीजेपी को तिलमिलाने पर मजबूर भी कर दिया। लेकिन, अपने भाषण के अंत में उन्होंने यह कहकर, "आपके लिए मैं पप्पू हूं, लेकिन मेरे मन में आपके खिलाफ जरा सा भी गुस्सा नहीं है।” सबको चौंका दिया। राहुल इतने पर ही नहीं रुके, बल्कि इसके बाद वो प्रधानमंत्री की ओर बढ़े और उन्हें जादू की झप्पी दी। इस झप्पी के बाद अपनी सीट पर वापस आकर उनके आंख मारने तक आगे सबकुछ जैसे फिल्मी हो गया। अविश्वास प्रस्ताव के बहाने कांग्रेस का उद्देश्य प्रधानमंत्री को घेरना और सरकार को विभिन्न मुद्दों को लेकर कठघरे में खड़ा करना था। यानी सदन के कुछ घंटों में विपक्ष और सत्ता दोनों अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने की कोशिश में है। इस दौरान राहुल द्वारा पप्पू और झप्पी चर्चा का विषय बन गया।

राजनीतिक गलियारे में इसे राहुल के पक्ष और विपक्ष दोनों में देखा जा रहा है। एक तरफ सदन में “पप्पू” पर मुहर लगाकर विपक्ष को सोशल मीडिया पर कटाक्ष का और मौका दे दिया है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गम्भीर छवि के सामने खुद को बचकाना भी बना लिया है। इस बयान से राहुल अपना ही  मजाक उड़ाते महसूस होते हैं।

दूसरी तरफ, यह भी चर्चा है कि इस झप्पी का उन लोगों पर खासा असर होगा, जिनका झुकाव ना तो बीजेपी की तरफ है और ना ही कांग्रेस की तरफ। खासकर उस बयान को जब राहुल गांधी ने बीजेपी से कहा, “मेरे मन में आपके खिलाफ जरा सा भी गुस्सा नहीं है।” बीजेपी के समर्थकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन राहुल गांधी की बातें अनिश्चित मतदाताओं, असंतुष्ट किसानों और उन लाखों लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है, जो आम चुनाव के करीब आने पर किसी को वोट देने का फैसला करते हैं। ऐसे में,  सदन में आज राहुल गांधी का रुख देखकर लगता है कि उनकी कोशिश होगी कि वो "न्यूट्रल वोटर्स" को बीजेपी की ओर जाने से रोकें। इसके अलावा 2018 में ही होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम विधानसभा चुनावों के नतीजों का भी काफी अहम असर होगा। अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ या राजस्थान का चुनाव जीत जाती है, तो जनता और अधिक आत्मविश्वास से भरे और मुखर राहुल गांधी को देखेगी। कुल मिलाकर, सदन से राहुल गांधी जनता को कितना प्रभावित कर सके यह तो आगामी चुनाव के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
■ काशी पत्रिका

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