अपने हाल के दिए रिपोर्ट में नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने कहा हैं कि गंगा का पानी नहाने और पीने के लिए हानिकारक हो गया है। अपने बयान में एनजीटी ने कहा कि हरिद्वार से उन्नाव तक पानी के सैम्पल के किए सर्वे में ये बात सामने आई है कि अब गंगा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों के इस्तेमाल के योग्य नहीं रह गया है। एनजीटी ने तो यहाँ तक कह डाला कि गंगा के किनारे आम लोगों के लिए सूचना प्रसारित होनी चाहिए कि किन-किन स्थानों पर गंगा का जल इतना प्रदूषित हैं कि वहां लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते।
अपने बयान में एनजीटी ने “नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा” को निर्देश दिया हैं कि वो 100 किमी की दूरी पर बोर्ड लगाकर लोगों को सूचित करे कि यहाँ गंगा का पानी दूषित है और स्वास्थ के लिए हानिकारक है। अपने ब्यान में एनजीटी ने सेंट्रल पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड और नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को निर्देश जारी किया हैं कि वो दो हफ़्तों के बीच अपनी वेबसाइट पर सूचना प्रदर्शित करे कि किन जगहों पर गंगा का पानी पीने और नहाने के योग्य बचा है।
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