तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके,
दिल के बाजार में बैठे हैँ खसारा* करके।
एक चिन्गारी नजर आई थी बस्ती में उसे,
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके।
मुन्तजिर* हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके।
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
■ राहत इंदौरी
*खसारा –हानि, क्षति, नुक्सान
*मुन्तजिर –इंतजार करने वाला
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