रिश्तों की पाठशाला: भाई-बहन का स्नेह - Kashi Patrika

रिश्तों की पाठशाला: भाई-बहन का स्नेह

जन्म या धर्म से बंधी भाई-बहन के रिश्ते की डोर इतनी मजबूत होती है कि मीलों की दूरी भी कभी आपसी स्नेह को कम नहीं कर पाती। भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर बहन उसके जीवन की मंगल कामना करती है, तो भाई भी विश्वास के साथ उसे जीवन भर हर दुख, हर मुसीबत से रक्षा करने का वचन देता है। रिश्तों की पाठशाला में आज रक्षाबंधन से जुड़ी एक कहानी... 

लड़की थी मुनिया, जो अपनी सौतेली मां के साथ रहती थी। एक दिन मां बड़बड़ाई, "कहां मर गयी ये लड़की, सुबह से न जाने कहां गायब है। 'मुनिया ओ मुनिया', इसकी मां तो मर गयी, बाप मेरे पल्ले बांध गया, अब कहां ढूंढू इसे... थोड़ी देर बाद, कहा मर गयी थी छोरी!!
मुनिया- "मां आज रक्षाबंधन है।"
मां- "तो तू क्या कर रही थी, न तो तेरी मां है, न भाई और बाप का भी पता नहीँ कहा पीकर पड़ा होगा, जा बर्तन साफ कर।"
मुनिया- "मां मुझे लगता है आज मेरा भाई मुझे जरूर मिलेगा।"
सौतेली मां- "देख छोरी काम कर वरना, खूब पिटेगी।"
मुनिया- "थोड़ी देर बाहर रहने दो न मां??"
मां- "तुझे समझ नहीं आता लड़की, भाई ढूंढ रही है। कहा आसमान से आएगा??"
मुनिया- "मां थोड़े पैसे दो न मिठाई और राखी खरीदनी है।"
सौतेली मां मुनिया को मारने लगी। "करमजली, एक तो छाती पर मूंग दल रही है और पैसे भी चाहिए जा अपने बाप से माँग, और मेरे बाहर से आये तक घर का सारा काम हो जाना चाहिए, वरना चमड़ी उधेड़ दूंगी।"
मुनिया रोते-रोते काम करने लगी और जल्दी से काम करके घर के बाहर बैठ गई। वह सबको देखती, कैसे सबके भाई, अपनी-अपनी बहनों से राखी बंधवाते हैं। वह उदास मन से वही बाहर बैठी रही। शाम होने को लगी, तो एक गरीब कचरा बीनने वाला छोटा सा लड़का उसके पास आया, "दीदी क्या आप मुझे राखी बांधेंगी??" मुनिया खुश हो गई- "हाँ भाई, बिल्कुल मेरा भी कोई भाई नहीँ है।"
तब तक मुनिया की सौतेली मां भी बाहर से आ गई और उन्हें देखकर बोली, "देख लो, जैसा भाई वैसी बहन। दोनों भिखारी।"
उधर, मुनिया की खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन उसके पास न मिठाई थी, न तो राखी। फिर वो उसे बाँधे क्या?
वह गरीब बच्चा बोला, "दीदी, आप कोई सा कपड़ा फाड़ लाएं, उसी को बाँध दें, मुनिया घर के अंदर गई और एक कपड़ा और थोड़ी सी शक्कर ले आई। फिर कपड़े की राखी बाँध कर भाई को  शक्कर खिला दिया।
गरीब बच्चा ने अपने बोरे से एक गिफ्ट निकाला और उसे देते हुए बोला, "दीदी इसे खोलिए", मुनिया बोली क्या है इसमें? गरीब बच्चा बोला, "दीदी इसमें जूतें हैं आप खाली पैर स्कूल जाती हैं, मैं रोज देखता हूं आपको। याद है, मैं वही लड़का हूं, जो महीने भर पहले रास्ते में बेहोश हो गया था, आपने मुझे पानी पिलाया था।"
मुनिया की ऑखें नम थीं और पास खड़ी सौतेली मां भी घूर रही थी। फिर मुनिया ने कहा, "देखा माँ मैंने कहा था न, मेरा भाई आएगा, आप एक साल से मुझे स्कूल के जूते के लिए रोज मारती थी, आज मेरा भाई मेरे लिए नए जूते ले आया"। मां फुसफुसाते हुए, "मारो तुम दोनों भिखारी' और अंदर चली गई।   मुनिया खुश होकर जूते पहनकर नाचने लगी।
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