इन गिरफ्तारियों के विरोध में कई और मुखर
पुणे पुलिस ने नक्सलियों से सम्पर्क रखने के आरोप में मंगलवार सुबह से देश के 6 राज्यों में विभिन्न ऐक्टिविस्टों के घर पर छापे मारे और सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, पी वरावरा राव, अरुण फरेरा और पत्रकार गौतम नवलखा को गिरफ्तार कर लिया। खबरों के मुताबिक लेफ्ट विचारधारा से जुड़े कुछ अन्य लोग भी हिरासत में लिए गए हैं। पुलिस की इस कार्रवाई को भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश संबंधी कथित पत्र से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस इस दौरान अहम दस्तावेज मिलने का भी दावा कर रही है। हालांकि, इन गिरफ्तारियों को लेकर आलोचनाओं का दौर भी शुरू हो गया है।आइए जानते हैं किसने क्या कहा-
भारत में सिर्फ एक एनजीओ के लिए जगह है और इसका नाम आरएसएस है। बाकी सभी एनजीओ बंद कर दो। सभी एक्टिविस्टों को जेल में भेज दो और जो लोग शिकायत करें उन्हें गोली मार दो। न्यू इंडिया में आपका स्वागत है
- राहुल गांधी, कांग्रेस
ये गिरफ्तारी सरकार के लिए खतरनाक संकेत है। इससे यह साबित होता है कि सरकार अपना जनादेश खो रही है और आतंक का सहारा ले रही है
- अरुंधती रॉय, लेखिका- सामाजिक कार्यकर्ता
पुलिस की यह कार्रवाई काफी डराने वाली है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को जल्द से जल्द दखल देना चाहिए, ताकि आजाद आवाजों पर अत्याचार और उत्पीड़न रोका जा सके
- रामचंद्र गुहा, इतिहासकार
देशभर में हुई छापेमारी और गिरफ्तारी लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है। गिरफ्तार लोगों को छोड़ने के साथ ही केस वापस लिया जाना चाहिए
- प्रकाश करात, माकपा
फासीवादी शक्तियाँ अब खुलकर सामने आ गई हैं
- प्रशांत भूषण, वरिष्ठ वकील
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