बच्चों से बलात्कार के मामले में अब मृत्यु दंड - Kashi Patrika

बच्चों से बलात्कार के मामले में अब मृत्यु दंड

सोमवार 6 अगस्त 2018 को संसद ने देश में नाबालिक लड़कियों से बढ़ते बलात्कार के मामले पर एक बिल पास किया, जिसमें अपराधी की न्यूनतम सजा को बढ़ाने और मृत्यु दंड का प्रावधान हैं। सोमवार को पास हुए बिल के
अनुसार 12 साल से काम आयु की लड़की के साथ बलात्कार के मामले में अपराधी की न्यूनतम सजा 20 वर्ष कारावास होगी, जिसे आजीवन कारावास या मृत्य दंड में बदला जा सकता हैं। 12 साल से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान हैं। इसी के साथ भारतीय दंड संहिता में बदलाव करते हुए बिल यह भी सुनिश्चित करता हैं कि बलात्कार के मामले में न्यूनतम साजा 7 साल का कठिन कारावास हो। ये बिल कठुआ और उन्नाव में हुए बलात्कार के मामलों के संज्ञान में लाया गया था।

30 जुलाई को लोकसभा में पारित इस बिल को कल राज्यसभा ने कुछ विचार विमर्श के बाद पास कर दिया। विपक्ष पर इस बिल पर विचार करने का मुख्य मुद्दा था कि इस बिल को जेंडर न्यूट्रल किया जाए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस बिल में कुछ बदलावों के प्रावधान लाने के प्रयास में हैं जिसके बाद यह बिल जेंडर न्यूट्रल हो जाएगा।

देवरिया, उत्तर प्रदेश 
इन सब के बीच सोमवार को ही एक चौकाने वाली घटना और सामने आई जब उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक बच्ची ने पुलिस स्टेशन में एक शेल्टर होम के विषय में बताया, जहाँ मुजफ्फरपुर बिहार जैसी ही घटना होने का अंदेशा है। पुलिस ने कार्यवाही में शेल्टर होम को सीज कर दिया और 24 लड़कियों को छुड़ाया। 18 लड़कियां मिसिंग बताई जा रही हैं। रविवार देर रात को शेल्टर होम की मैनेजर गिरिजा त्रिपाठी और उसके पति मोहन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया हैं। ये शेल्टर होम एक एनजीओ के अंतर्गत चल रहा था जिसकी मान्यता जुलाई 2017 में ही वित्तीय अनिमित्ताओं के कारण रद्द कर दी गई थी।

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