तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और DMK प्रमुख एम. करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में करुणानिधि को मरीना बीच पर ही दफनाने की इजाजत दे दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद डीएमके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के अध्यक्ष एवं तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए चेन्नई के राजाजी हॉल में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी है। करुणानिधि ने मंगलवार शाम कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली। करुणानिधि के शव को राजाजी हॉल में लाने से पहले बुधवार तड़के गोवापुरम में उनके घर ले जाया गया था, जहां रिश्तेदारों और नेताओं ने उनके दर्शन किए। पांच बार मुख्यमंत्री रहे 94 वर्षीय दिग्गज नेता करुणानिधि का शव राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करुणानिधि को श्रद्धांजलि देने के लिए चेन्नई पहुंच चुके हैं।
राष्ट्रीय ध्वज बुधवार को करुणानिधि के सम्मान में आधा झुका रहेगा। सरकारी बयान में मंगलवार को यह जानकारी दी गई। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “दिवगंत नेता का राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की जाएगी। भारत सरकार ने देशभर में एक दिवसीय शोक घोषित किया है। इस दिन सरकारी कामकाज बंद रहेंगे।”
दफनाने को लेकर उपजा विवाद
करुणानिधि के निधन के बाद उनको दफनाने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया। करुणानिधि की पार्टी और उनके समर्थकों ने मांग की है कि उन्हें चेन्नई के मशहूर मरीना बीच पर दफनाया जाए और उनका समाधि स्थल भी बने। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। राज्य की अन्नाद्रमुक सरकार और द्रमुक के बीच समाधि स्थल को लेकर मंगलवार रात से चल रही कानूनी लड़ाई बुधवार सुबह खत्म हो गई। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि समाधि स्थल मरीना बीच पर बनाया जाए। करुणानिधि ने मंगलवार शाम को कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए यहां के राजाजी हॉल में रखा गया है।
द्रमुक पूर्व सीएम एमजी रामचंद्रन और जे. जयललिता की तरह मरीना बीच पर उनका समाधि स्थल चाहती थी। सरकार ने वहां जगह देने से इनकार कर दिया था। स्मारक बनाने के लिए सरकार ने गांधी मंडपम में दो एकड़ जगह देने की पेशकश की थी। इससे नाराज समर्थक रात को ही हाईकोर्ट पहुंच गए थे। रात 11 बजे कार्यवाहक चीफ जस्टिस के घर पर ही दो जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की। करीब दो घंटे सुनवाई चली। सरकार ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा, तो कोर्ट ने सुनवाई बुधवार सुबह तक स्थगित कर दी थी। सुबह सुनवाई शुरू हुई तो तमिलनाडु सरकार ने अपने शपथ-पत्र में कहा कि जब करुणानिधि मुख्यमंत्री थे, तब प्रोटोकॉल बताने के बाद भी उन्होंने पूर्व सीएम जानकी रामचंद्रन की समाधि के लिए जमीन नहीं दी थी। सुबह 8 बजे मामले पर फिर सुनवाई शुरू हुई। करीब ढाई घंटे की सुनवाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने द्रमुक के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद द्रमुक समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
करुणानिधि को क्यों दफनाया जा रहा है?
जयललिता के निधन के समय पर ये सवाल उठा था कि जयललिता का दाह संस्कार क्यों नहीं किया गया? बीबीसी की खबर के मुताबिक इसकी वजह जयललिता का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना था। द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यकीन नहीं रखता है। जयललिता भी एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी, चूँकि करुणानिधि भी इस आंदोलन से जुड़े रहे हैं, इसलिए उन्हें भी दफनाया जाएगा। सामान्य हिंदू परंपरा के खिलाफ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक टाइटल का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं। जयललिता से पहले एमजी रामचंद्रन को भी दफनाया गया था। उनकी कब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी कब्र है। अन्नादुरै तमिलनाडु के पहले द्रविड़ मुख्यमंत्री थे।
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