देश में रोजगार की वास्तविक स्थिति - Kashi Patrika

देश में रोजगार की वास्तविक स्थिति


2019 लोकसभा चुनावों में अगर विपक्ष मोदी सरकार को किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा घेरेगा तो वो होगा रोजगार का मुद्दा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मराठा आरक्षण के मुद्दे पर यह बयान दिया कि रोजगार ही नहीं है...। गडकरी के इस बयान पर राहुल गांधी ने भी चुटकी ली। सच तो यह है, केंद्र की सत्ता में आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से वादा किया था कि वो हर साल 1 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। अब जब देश 2019 लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा हैं तो जानना आवश्यक हो जाता हैं पिछले चार सालों में सरकार ने कितने लोगों को रोजगार दिया...

सरकारी नौकरियों का सूखा
मार्च 2016 की एक रिपोर्ट देखें तो केंद्र सरकार के 36,33,935 नौकरियों में से 4,12,752 नौकरिया खाली हैं, जिनका विज्ञापन सरकार ने नहीं निकाला है। जनवरी में सरकार ने विभिन्न मंत्रायलों से एक रिपोर्ट मांगी थी जिसमें कहा गया था कि वो अपने-अपने मंत्रालयों में मौजूदा नौकरियों का खाका तैयार करे। ठीक इसी समय सरकार ने यह भी आदेश दिया कि वो विभिन्न मंत्रालयों में मौजूद उन नौकरियों को समाप्त कर दे जिनमें पिछले पांच सालों में कोई भर्ती नहीं हुई हैं। लेबर ब्यूरों की रिपोर्ट माने जो सरकार का अपना आंकड़ा है तो, 2014–15 : 1.55 लाख और 2015–16 : 2.31  लाख लोगों को सरकार ने रोजगार दिया। ये आंकड़े पिछले आठ सालों में सबसे कम हैं।

तीस योजनाओं का सच 
मोदी सरकार ने मुद्रा योजना, कौशल विकास, डिजिटल इण्डिया, मेक इन इंडिया जैसी लगभग 30 योजनाएं चला रखी हैं जिससे सरकार का मानना हैं कि बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। साथ ही साथ सरकार का यह भी कहना हैं कि इससे देश में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। मुद्रा योजना में मई 2018 तक 12.61 करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है। विशेषज्ञों की माने तो इस योजना में बाटे गए लोन में एक खामी है। योजना में 5 लाख रुपये से ज्यादा लोन लेने वाले लोगों की संख्या कुल संख्या का महज 1.3 % हैं जिसमें रोजगार उत्पन्न करने की क्षमता है। 2017-18 में दिए गए 2,53,677.10 करोड़ रुपये लोन में पाने वाले 4.81 करोड़ हैं, जिसका औसत 52,700 रुपये है। यह इतनी कम हैं जिससे कोई भी व्यक्ति ऐसा व्यवसाय नहीं शुरू कर सकता जिससे रोजगार उत्पन्न किया जा सके। विशेषज्ञ की माने तो 50,000 रुपये में कोई व्यक्ति अपने और अपने परिवार के लिए कोई व्यवसाय नहीं खड़ा कर सकता, तो दूसरों को रोजगार देना तो बड़ी बात हैं।

इन सब के बावजूद भी अगर सरकार ये कह रही हैं कि उसने लोगों को रोजगार दिया हैं तो ये एक बड़ी बात है। विशेषज्ञों का तो यही मानना हैं कि तत्कालीन मोदी सरकार जॉबलेस विकास की ओर बढ़ रही हैं जिसमें अर्थव्यवस्था तो बढ़ रही है, लेकिन लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है।

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