आगामी लोकसभा “समर” में विजय के लिए किसी राजनीतिक दल के पास कोई खास मुद्दा तो है नहीं, सो किसी तरह धर्म के सहारे चुनावी बैतरणी पार करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए ‛राम’ से बेहतर विकल्प तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि पहले भी ‛राम भरोसे’ सत्ता का स्वाद चखा जा चुका है। फिर राजनीति में कोई भी दल चूके क्यों! इसी लिए बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य के हालिया ‛राम’ बाण पर अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे ने भी अपने तीर दाग दिए हैं...
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि वे सत्ता में आए तो, अंकोरवाट की तर्ज पर भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाएंगे। अखिलेश यादव ने बुधवार को ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आए तो उत्तर प्रदेश में भगवान विष्णु का नगर विकसित किया जाएगा और इसमें भव्य मंदिर भी होगा। उन्होंने कहा, 'हम भगवान विष्णु के नाम पर लायर सफारी :इटावा: के निकट 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर नगर विकसित करेंगे। हमारे पास चंबल के बीहड़ में काफी भूमि है। इस नगर में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर होगा। यह मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तरह होगा। इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम कंबोडिया भेजी जाएगी। यह शहर हमारे अतीत की संस्कृति और ज्ञान का केंद्र होगा।’ ज्ञात हो कि कंबोडिया का अंकोरवाट विश्व के सबसे विशाल धार्मिक परिसर में से एक है। वह मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित हिन्दू मंदिर था, जो धीरे-धीरे बौद्ध मंदिर में तब्दील हो गया।
उधर, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‛सामना’ के जरिए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सुगम बनाने के लिए कानून बनाए जाने पर बुधवार को जोर दिया और कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद संसद की तस्वीर ‘अनिश्चित’ दिखती है। शिवसेना ने कहा कि यह कहना कि राम मंदिर का निर्माण आम सहमति से होगा, वैसा ही है, जैसे पाकिस्तान यह कहे कि उसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है और वह हिस्सा भारत का है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा कि पूर्व की सरकार सत्ता से बाहर हो गयी क्योंकि वह राम मंदिर मुद्दे पर आम सहमति नहीं बना सकी और न ही उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई फैसला दिया। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला और उत्तर प्रदेश में उन्हें सर्वाधिक सीटें मिलीं। संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना सहित कई दल चाहते हैं कि राम मंदिर बने और इसलिए सरकार को कानून बनाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। शिवसेना ने कहा, ‘बुधवार को संसद में आपके पास बहुमत है। 2019 में संसद की क्या तस्वीर होगी? यह अनिश्चित है।’
बता दें कि बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले सप्ताह राम मंदिर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि अयोध्या में मंदिर के निर्माण के लिए विधायी रास्ता अपनाया जा सकता है। अखिलेश यादव और शिवसेना के ताजा बयानों को उसका प्रतिउत्तर माना जा रहा है।
यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि वे सत्ता में आए तो, अंकोरवाट की तर्ज पर भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनवाएंगे। अखिलेश यादव ने बुधवार को ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आए तो उत्तर प्रदेश में भगवान विष्णु का नगर विकसित किया जाएगा और इसमें भव्य मंदिर भी होगा। उन्होंने कहा, 'हम भगवान विष्णु के नाम पर लायर सफारी :इटावा: के निकट 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर नगर विकसित करेंगे। हमारे पास चंबल के बीहड़ में काफी भूमि है। इस नगर में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर होगा। यह मंदिर कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तरह होगा। इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम कंबोडिया भेजी जाएगी। यह शहर हमारे अतीत की संस्कृति और ज्ञान का केंद्र होगा।’ ज्ञात हो कि कंबोडिया का अंकोरवाट विश्व के सबसे विशाल धार्मिक परिसर में से एक है। वह मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित हिन्दू मंदिर था, जो धीरे-धीरे बौद्ध मंदिर में तब्दील हो गया।
उधर, शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‛सामना’ के जरिए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण सुगम बनाने के लिए कानून बनाए जाने पर बुधवार को जोर दिया और कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद संसद की तस्वीर ‘अनिश्चित’ दिखती है। शिवसेना ने कहा कि यह कहना कि राम मंदिर का निर्माण आम सहमति से होगा, वैसा ही है, जैसे पाकिस्तान यह कहे कि उसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है और वह हिस्सा भारत का है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा कि पूर्व की सरकार सत्ता से बाहर हो गयी क्योंकि वह राम मंदिर मुद्दे पर आम सहमति नहीं बना सकी और न ही उच्चतम न्यायालय ने इस पर कोई फैसला दिया। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला और उत्तर प्रदेश में उन्हें सर्वाधिक सीटें मिलीं। संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना सहित कई दल चाहते हैं कि राम मंदिर बने और इसलिए सरकार को कानून बनाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। शिवसेना ने कहा, ‘बुधवार को संसद में आपके पास बहुमत है। 2019 में संसद की क्या तस्वीर होगी? यह अनिश्चित है।’
बता दें कि बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले सप्ताह राम मंदिर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि अयोध्या में मंदिर के निर्माण के लिए विधायी रास्ता अपनाया जा सकता है। अखिलेश यादव और शिवसेना के ताजा बयानों को उसका प्रतिउत्तर माना जा रहा है।
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