मुखर आवाज मौन: नहीं रहे कुलदीप नैयर - Kashi Patrika

मुखर आवाज मौन: नहीं रहे कुलदीप नैयर


वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और स्तंभकार कुलदीप नैयर अब हमारे बीच नहीं रहे और इसी के साथ पत्रकारिता की एक मुखर आवाज विदा हो गए। दिल्ली के अस्पताल में बुधवार देर रात करीब साढ़े बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। नैयर 95 वर्ष के थे और आखिरी वक्त वह लेखन और पत्रकारिता से जुड़े रहे। उनका अंतिम संस्कार आज एक बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में होगा। पत्रकारिता जगत में कई सालों तक सक्रिय रहने के साथ राज्यसभा सांसद रह चुके नैयर अपने लेखन के अलावा विश्वशांति हेतु अपनी सक्रियता के लिए भी जाने जाते हैं। वे एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी थे।

नैयर भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई साल तक कार्य करने के बाद वे समाचार एजेंसी यूएनआई, पीआईबी, 'द स्टैट्समैन', 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे। वे पच्चीस सालों तक 'द टाइम्स' लंदन के संवाददाता भी रहे। साथ ही 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ओप-एड लिखते रहे। कुलदीप नैयर के निधन के बाद पीएम मोदी ने उनकी मृत्यु पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि कुलदीप नैयर बहुत बुद्धिमान थे। वह बहुत फ्रैंक और निडर थे। उनका काम कई दशकों तक फैला रहा। उन्हें मजबूत स्टैंड के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के कारण 1997 में उन्हें के लिए भी मनोनीत किया गया था। नैयर ने देश-विदेश के मशहूर अखबारों के लिए संपादकीय और लेख लिखे। नैयर ने कई किताबें भी लिखीं और उनकी आत्मकथा भी काफी चर्चित रही थी। उनकी आत्मकथा 'बियांड द लाइंस' अंग्रेजी में छपी थी। बाद में उसका हिंदी में अनुवाद, एक जिंदगी काफी नहीं नाम से प्रकाशित हुआ। उन्होंने इसके अतिरिक्त कई किताबें 'बिटवीन द लाइं,', 'डिस्टेंट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कान्टिनेंट', ‘इंडिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इंडिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', 'इंडिया हाउस' जैसी कई किताबें भी लिखीं।
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